विषय - सूची
- Copyright का मतलब
- Copyright क्या होता है?
- Copyright सिंबल क्या होता है?
- Copyright Act 1957 क्या होता है?
- Copyright Act मे क्या-क्या आता है?
- Copyright Holder के अधिकार क्या होते है?
- Copyright Infringement क्या होता है?
- Fair Use Policy क्या है?
- Copyright Board क्या है?
- Copyright Act की दंड
- DMCA क्या होता है?
- निष्कर्ष
Copyright Act : यदि आप एक Blogger, Youtuber पर या फिर साफ शब्दों में कहे कि आप एक Content Creator है तो आपको कॉपीराइट के बारे में पता होना चाहिए कि Copyright क्या होता है? कॉपीराइट से जुड़े कौन-कौन से नियम होते हैं तथा कॉपीराइट के नियम को फॉलो न करने पर कौन-कौन से जुर्माना या फिर सजा हो सकती है। तो आज के इस आर्टिकल में हम कॉपीराइट के बारे में समझेंगे जानेंगे कि Copyright क्या होता है तथा इसके रूल्स एंड रेगुलेशन किया है। इसके तहत कौन-कौन सी चीज आती है जिसको आपको नियम के अनुसार फॉलो करनी है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं Copyright Act के बारे मे।
Copyright का मतलब
देखो दोस्तों, कंटेंट की चोरी कोई नई बात नहीं है। पहले भी लोग ऐसा करते थे और आज भी करते हैं। लेकिन आजकल इसके लिए कड़े कानून बन गए हैं। अगर इतिहास में झांकें, तो कई ऐसी घटनाएं मिलेंगी, जब कलाकारों से उनका बेस्ट काम करवाने के बाद उनके हाथ ही काट दिए जाते थे, ताकि वे दुबारा वैसा काम न कर सकें। मतलब, कलाकार को उसके ही काम की नकल करने का भी हक नहीं था।
अब जरा सोचो, तुमने दिन-रात मेहनत करके एक किताब लिखी। और कोई दूसरा उसे कॉपी करके सस्ते दाम में बेच दे और तुमसे ज्यादा पैसे कमाए, तो तुम्हें कैसा लगेगा? जाहिर है, बुरा लगेगा। तुम चाहोगे कि उसे जल्द से जल्द रोका जाए और शायद सजा भी मिले। लेकिन ये सब कॉपीराइट एक्ट के बिना संभव नहीं है। इसीलिए कॉपीराइट एक्ट लाया गया, ताकि कॉपी की Content की चोरी और गलत प्रयोग को रोका जा सके।
Copyright क्या होता है?
कॉपीराइट रियल मे डिजिटल दुनिया से जुड़ा एक कानूनी अधिकार है जो किसी व्यक्ति को उसके अपने काम की पहचान बनाने, और सोशल मीडिया मे अपलोड करने की Permission देता है। आसान भाषा में कहें तो, ये आपको आपकी बनाई हुई चीज़ (जैसे पोस्ट, sound, फिल्म, पेंटिंग आदि) पर पूरा मालिक हक देता है। मतलब, आप उसे पब्लिश कर सकते हैं, दोबारा बना सकते हैं और बेच भी सकते हैं।
मान लीजिए, आपने एक किताब लिखी है। अब उस किताब पर आपका कॉपीराइट होगा। यानी आप उसे दोबारा पब्लिश कर सकते हैं, उसमें बदलाव कर सकते हैं और उसे बेच भी सकते हैं। लेकिन अगर कोई और व्यक्ति ऐसा करना चाहता है, तो उसे आपसे इजाज़त लेनी होगी। क्योंकि आप उस किताब के असली मालिक हैं। बिना आपकी अनुमति के कोई भी आपकी किताब को पब्लिश या कॉपी नहीं कर सकता, क्योंकि ये कॉपीराइट कानून का उल्लंघन होगा।
तो, कॉपीराइट आपको आपकी बनाई हुई चीज़ पर पूरा कंट्रोल देता है और आपकी मेहनत की सुरक्षा करता है।
Copyright सिंबल क्या होता है?
कॉपीराइट का symbol एक खास निशान है जिसे Copyright Symbol या Copyright Sign कहा जाता है। इसे अलग-अलग कामों के लिए Copyright Notices में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, हर जगह इसकी जरूरत नहीं होती, लेकिन कॉपीराइट से जुड़ी जानकारी और नोटिसों में इसका खास रूप से इस्तेमाल किया जाता है। Universal Copyright Convention में इसके उपयोग के बारे में विस्तार से बताया गया है।
Copyright Symbol कुछ ऐसा दिखता है: एक गोल घेरे में बंद कैपिटल लेटर ‘C’। यानी, गोल घेरे के अंदर अंग्रेजी का बड़ा ‘सी’। यह निशान आपको ज्यादातर वेबसाइट्स के नीचे देखने को मिल जाएगा। इसे Copyright Logo भी कहा जाता है।
Copyright Act 1957 क्या होता है?
1957 में बना भारत का पहला कॉपीराइट एक्ट, जिसे Copyright Act 1957 कहते हैं, आज भी जरूरी है। इससे पहले हमारे देश में कॉपीराइट के लिए ब्रिटेन का Imperial Copyright Act 1911 लागू था। लेकिन फिर 1957 में इसे बदलकर नया Copyright Act लाया गया।
इस एक्ट में समय-समय पर कई बदलाव किए गए हैं। हाल ही में 2019 में भी एक बड़ा Amendment हुआ था। इसमें Appellate Board की स्थापना, Copyright Societies की Tariff Schemes और Royalty से जुड़े कई प्रावधान शामिल थे।
देखा जाए तो, जैसे-जैसे कंटेंट का रूप बदलता है, वैसे-वैसे कॉपीराइट के नियम भी अपडेट होते रहते हैं। जब 1957 में ये एक्ट बना था, तब इंटरनेट का कोई अता-पता नहीं था। लेकिन जैसे ही इंटरनेट आया और डिजिटल कॉन्टेंट का जमाना शुरू हुआ, वैसे-वैसे इस एक्ट में भी बदलाव की जरूरत पड़ी। इसलिए डिजिटल कॉन्टेंट को ध्यान में रखते हुए कई नए नियम जोड़े गए।
तो कुल मिलाकर, Copyright Act 1957 ने समय के साथ खुद को अपडेट करके आज भी अपनी पहचान बनाए रखी है।
Copyright Act मे क्या-क्या आता है?
अगर आप सोच रहे हैं कि Copyright Act के तहत सिर्फ पोस्ट , फोटो, वीडियो और म्यूजिक ही आते हैं, तो आप गलत हैं। असल में इस एक्ट के तहत बहुत सारी चीज़ें प्रोटेक्ट की जाती हैं। इस एक्ट में नीचे दी गई चीज़े को प्रोटेक्शन मिलता है:
- हाथ से लिखी कंटेंट – जैसे गीत, कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास, एकांकी, लघुकथा, पटकथा, लेख, निबन्ध आदि।
- वीडियो – जैसे वीडियो, फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, एनीमेशन आदि।
- साउंड / ऑडियो – जैसे आवाज, रिकॉर्डिंग, साउंड इफेक्ट्स से निकली ध्वनि, संगीत आदि।
- फोटो – जैसे फोटोग्राफ, स्केच, पेंटिंग, कार्टून आदि।
- डिजायन – जैसे किसी भवन, संरचना आदि का डिज़ाइन या नक्शा।
- मूर्ति की कापीराइट – जैसे धातु, पत्थर, लकड़ी, रबर, प्लास्टिक आदि की मूर्तियाँ।
- डिजिटल चीज़े – जैसे पोस्ट, वेबसाइट, Ebooks, ग्राफिक्स, वीडियो गेम्स, मोबाइल एप्लीकेशन, सॉफ्टवेयर, कम्प्यूटर प्रोग्राम, आदि।
- गाना या कोई करतब का कापीराइट – जैसे सिंगर , डांस , जादू, करतब, तमाशा, कलाबाजी, मदारी का खेल, नाटक आदि।
ऊपर बताई गई सारी चीज़ों को इस एक्ट में ‘Copyright’ कहा गया है और इन्हें प्रोटेक्शन मिलता है।
Copyright Holder के अधिकार क्या होते है?
जब कोई इंसान अपनी खुद की कोई चीज़ बनाता है, तो वो उसका Copyright Holder बन जाता है। मतलब, उस चीज़ पर उसका पूरा हक होता है। अब अगर Copyright Act 1957 की बात करें, तो इस कानून के तहत कॉपीराइट होल्डर को ये सारे अधिकार मिलते हैं:
- अपनी चीज़े को पूरी तरह से दोबारा बनाना।
- उसकी कॉपियाँ बनाना।
- उसे पब्लिक में पब्लिश करना।
- उस पर फिल्म या वीडियो बनाना।
- गाना या म्यूजिक रिकॉर्ड करना।
- किसी दूसरी भाषा में ट्रांसलेट करना।
- डिजिटल फॉर्म में स्टोर करना।
- किसी और को इस्तेमाल करने की परमिशन देना।
- अपने कॉपीराइट को ट्रांसफर करना।
- किसी को किराए पर देना।
- बेचना।
तो ये हैं वो सारे अधिकार जो एक Copyright Holder को मिलते हैं।
जब कोई लेखक या Content Creator अपनी कला को दुनिया के सामने लाता है, तो उसी पल से उस पर उसका कॉपीराइट हो जाता है। ये कॉपीराइट उसके मरने के बाद भी 60 साल तक बना रहता है। मतलब, Creator या कलाकार की मौत के बाद भी उसकी कला पर उसके परिवार या वारिसों का अधिकार रहता है।
Copyright Infringement क्या होता है?
Copyright Act का मतलब होता है कि किसी और की बनाई हुई चीज़ का बिना उनकी इजाज़त के इस्तेमाल करना। Copyright Act 1957 के तहत कुछ चीजें हैं जो कॉपीराइट का उल्लंघन मानी जाती हैं।
अगर आपने किसी ऐसी कला का इस्तेमाल किया जिस पर आपका हक नहीं है, तो वो उल्लंघन माना जाएगा। इसमें शामिल है:
- किसी और की चीज़ की कॉपी करना, चाहे पूरी या आधा।
- थोड़ा बदलाव करके उसे फिर से बनाना।
- उसे पब्लिक के सामने रखना।
- किसी दूसरी भाषा में ट्रांसलेट करना।
- किसी और फॉर्मेट में बदलना, जैसे फिल्म या साउंड रिकॉर्डिंग।
- पर्सनल या बिज़नेस के लिए उसकी कॉपी बनाना।
- उसे किराए पर देना।
- उसे बेचना।
तो ध्यान रखें, अगर किसी और की चीज़ का इस्तेमाल करना है, तो पहले उनकी इजाज़त जरूर लें।
Fair Use Policy क्या है?
आपने Fair Use Policy के बारे में जरूर सुना होगा। यह दरअसल Copyright Protected Content को कुछ शर्तों के अधीन इस्तेमाल करने की इजाजत देती है। और ऐसा करने से कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होता। लेकिन सवाल यह है कि ये शर्तें कौन-कौनसी हैं? आइए, जानते हैं।
Fair Use के तहत किसी भी कला का प्राइवेट या निजी उपयोग (जैसे कि पढ़ाई या रिसर्च) करना शामिल है। हाँ, ये नियम कंप्यूटर प्रोग्राम्स पर लागू नहीं होते। अगर आप किसी कला की रिव्यू कर रहे हैं, तो भी Fair Use के तहत आते हैं। घटनाओं या की रिपोर्टिंग में भी पब्लिक स्पीच शामिल है, जो कि Fair Use के तहत आता है।
लाइसेंस प्राप्त कंप्यूटर प्रोग्राम्स की कॉपी बनाना भी Fair Use में आता है। Public Domain में मौजूद चीज़े का अस्थायी स्टोरेज भी इसमें शामिल है। अगर आपने कोई प्रोग्राम लीगल तरीके से खरीदा है, तो उसका पर्सनल उपयोग के लिए बैकअप बनाना भी सही है।
टीचर्स और स्टूडेंट्स द्वारा ट्रेनिंग के लिए चीजों का उपयोग, परीक्षा के प्रश्न-पत्रों में सवालों के रूप में कला का उपयोग, और स्कूल में कला को दिखाना भी Fair Use की श्रेणी में आता है।
तो कुल मिलाकर, Fair Use Policy कई ऐसे उपयोगों को कवर करती है जिनसे कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं होता। इसका मकसद है कि शिक्षा, समीक्षा, रिपोर्टिंग और अपनी ईस्तेमाल के लिए चीजों को उचित तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।
Copyright Board क्या है?
Copyright Board कॉपीराइट मामलों का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है, जिसे आप कॉपीराइट की दुनिया का सुप्रीम कोर्ट भी कह सकते हैं। यहाँ कॉपीराइट से जुड़े सारे विवाद और मुद्दों का हल निकाला जाता है। इस बोर्ड का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट का कोई मौजूदा, भावी या पूर्व जज होता है।
बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा दो और सदस्य भी होते हैं। साथ ही, कई अधिकारी और कर्मचारी होते हैं, जो बोर्ड के कामकाज में मदद करते हैं। इन सभी की नियुक्ति अध्यक्ष के सुझाव पर केंद्र सरकार करती है।
कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन क्या होता है?
कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन के लिए कॉपीराइट बोर्ड कार्यालय में एक रजिस्टर होता है। इसमें आपके काम का नाम, लेखक का नाम, पब्लिशर का नाम, पब्लिश की की तारीख, कॉपीराइट वाले का नाम और पता, और अन्य जरूरी जानकारी जानकारियाँ दर्ज होती हैं। यह रजिस्टर हमेशा कॉपीराइट ऑफिस में मौजूद रहता है और इसमें पेटेंट से जुड़ी जानकारियाँ भी होती हैं।
अब सवाल यह है कि पेटेंट के लिए क्या करना पड़ता है? तो भई, यह बहुत ही आसान है। किसी भी काम को पेटेंट करवाने के लिए आपको एक निर्धारित फॉर्मेट में आवेदन देना पड़ता है। यानि अपने काम का नाम, पब्लिश की तारीख, पब्लिश का नाम, कॉपीराइट होल्डर का नाम, पता और अन्य जरूरी जानकारियाँ भरकर कॉपीराइट ऑफिस में जमा करवानी होती हैं।
Copyright Act की दंड
कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन करने पर क्या सजा हो सकती है? चलिए, आसान भाषा में समझते हैं।
अगर कोई कॉपीराइट का उल्लंघन करता है, तो उसे कम से कम 6 महीने और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही, 50,000 रुपये से लेकर 2,00,000 रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
अब मान लो किसी ने एक बार ये गलती की और फिर से दोबारा या बार-बार वही गलती करता है, तो उसे हर बार कम से कम 1 साल और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही, 1,00,000 रुपये से लेकर 2,00,000 रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
अगर कोई जानबूझकर अपने कंप्यूटर पर किसी क्रैक्ड या मोड वर्जन का उपयोग करता है, तो उसे कम से कम 7 दिन और ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही, 50,000 रुपये से 1,00,000 रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
तो दोस्तों, कॉपीराइट का उल्लंघन करने से बचें और दूसरों के काम की इज्जत करें।
DMCA क्या होता है?
अगर आप एक डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं, तो DMCA का नाम आपने जरूर सुना होगा। यह एक ऐसा कॉपीराइट कानून है, जो खास तौर पर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। हालांकि, भारतीय कॉपीराइट एक्ट 1957 से इसका कोई खास लेना-देना नहीं है, लेकिन यह भी कॉपीराइट से जुड़ा एक अहम कानून है।
DMCA का फुल फॉर्म है Digital Millennium Copyright Act। इसे 1998 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने लागू किया था। इस कानून का असली मकसद डिजिटल कंटेंट को प्रोटेक्ट करना है।
असल में DMCA की मदद से आप अपने ब्लॉग या वेबसाइट को प्रोटेक्ट कर सकते हैं और अपने कंटेंट को चोरी होने से बचा सकते हैं। अगर कोई आपका कंटेंट चुराकर अपने ब्लॉग पर डाल देता है, तो आप उसके खिलाफ ऑनलाइन DMCA शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और उसके ब्लॉग से अपने कंटेंट को हटवा सकते हैं।
तो दोस्तों, अगर आप एक डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हैं, तो DMCA आपके लिए बहुत काम की चीज़ है। इससे आप अपने मेहनत के कंटेंट को सुरक्षित रख सकते हैं और उसे चोरी होने से बचा सकते हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर कॉपीराइट एक ऐसा कानूनी अधिकार है जो आपके अपने कला या Content को मान्यता देता है। इससे आपको अपने Original Work को कॉपी, मॉडिफाई, पब्लिश और बेचने का अधिकार मिल जाता है। अगर कोई बिना अनुमति के आपके काम को चुरा लेता है, तो यह कॉपीराइट का उल्लंघन कहलाता है और इसके लिए सजा का प्रावधान है।
अगर कोई कॉपीराइट का उल्लंघन करता है, तो उसे 6 महीने से 3 साल तक की जेल और 50,000 रुपये से 2,00,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। भारत में कॉपीराइट संबंधी मामलों का निपटारा कॉपीराइट एक्ट 1957 के तहत कॉपीराइट बोर्ड द्वारा किया जाता है। वहीं कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन, पेटेंट और ट्रेडमार्क्स के लिए कॉपीराइट ऑफिस उत्तरदायी होते हैं।